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Friday, January 16, 2009

वेदांत देता है एकात्म का भाव - अनुभव करें आप


  • यह समस्त चराचर सृष्टि एक ही तत्त्व से निर्मित है।
  • समस्त जड़ चेतन में एक ही तत्त्व क्रियाशील है।
  • हम सब इसी एक तत्त्व का अंश हैं। इसी एक तत्त्व का विस्तार हैं।
  • जब हम अपने अहम् के कारण इस भाव को अनुभव नहीं कर पाते तभी अपने और पराये के प्रति पूर्वाग्रहों से पीड़ित होते हैं।
  • इस एकत्व के भाव के साथ हमें इस संसार में अपनी अपनी भूमिकाओं को निभाने के लिए आगे बढ़ना है।
  • आइये, इस भावना के साथ हम मानवता की सेवा के लिए आगे बढें।
  • आइये, इसी महान भावना के साथ जीव- जंतुओं, वृक्षों-नदियों और समस्त प्रकृति के संरक्षण के लिए सामने आयें।
  • आइये, छोटे-छोटे विषयों को भुला कर हम अपने अहम् को शांत करें।
  • अपने अपने स्तर पर हम परस्परता का भाव बढाएँ । आनंद का आदान-प्रदान करें।
  • हम सृष्टि के विस्तार का एक कमजोर पक्ष होने से बचें।
  • शक्ति सम्पन बनें और शक्ति का सदुपयोग विकास के लिए करें, विनाश के लिए नहीं।
  • विकास भौतिक हो, विकास आध्यात्मिक हो। शक्ति ऊर्धव्गामी हो ।
  • आइये , इस सनातन सत्य को समझें।
  • वेदान्त का महान भारतीय आदर्श शीघ्र ही एक वैश्विक संस्कृति का सूत्रपात करेगा।
  • सहयोगी होंगे आप, मध्यम होगा "वेदान्त मंडलम" , साक्षी होगा जहाँ।