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Wednesday, January 21, 2009

" वेदांत मण्डलं" एक विज़न - एक मिशन - एक परिचय

प्रिय आत्मन,
वेदांत मण्डलं अभी अपने आरंभिक दौर में है लेकिन इसका एक वस्तुनिष्ठ उदेश्य है। पहली बात यह कि वेदांत मण्डलं एक त्रैमासिक पत्रिका के अलावा ट्रस्ट के रूप में संगठित एक आध्यात्मिक और चेरिटेबल संस्था है। इसका अपना एक विज़न और एक मिशन है। आरम्भ से ही हम इस मिशन के फलीभूत होने का आकलन करके चल रहे हैं कि कैसे यह वैश्विक स्तर पर वेदान्तिक जीवनदर्शन और मूल्यों को पुनः प्रतिस्थापित कर सकेगा, जिसकी कि आज के समय में अत्यन्त आवश्यकता है।
दूसरी और ज्यादा अहम बात यह है कि "वेदांत मंडलम" का सांस्थानिक और संगठनात्मक स्वरुप आप सबके सहयोग से अपने वास्तविक रूप में आ रहा है। आप सबके लिए यह एक खुला मंच है। आप सबका आह्वान है, आप सब आमंत्रित हैं कि आयें और इस मंच का सदुपयोग हमारे साथ मिलकर उन जीवन मूल्यों की प्रतिस्थापना के लिए करें जो भारतभूमि ने पूरे विश्व को आदिकाल से प्रदान किए हैं।
आज सब जगह वैश्विक जनजागरण की बात की जा रही है। न केवल संस्कृतियों अथवा धर्म-अध्यात्म के स्तर पर यह एकता अनुभव की जा रही है, अपितु ठोस भौतिक और बाजारवादी स्तर पर भी इसका प्रभाव दीखता है, और ज्यादा स्पष्ट दीखता है। यह एक शुभ लक्षण है। वैश्विक समुदाय इस एकता के भाव को और अधिक प्रगाढ़ करना चाहते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, और स्वाभाविक रूप से एक वेदान्तिक परिणिति है। लेकिन शायद सभी को यह न मालूम हो कि एक व्यक्ति के स्तर पर इस मिशन में उनका क्या योगदान हो सकता है। "वेदांत मंडलम" इस बड़े कार्य में वैश्विक सामुदाय को अपना सहयोग प्रदान कर सकता है।
इसके लिए आपको यह करना है कि :
१। वेदांत मंडलम से जुडें ।
२। स्वयं वेदान्तिक जीवन मूल्यों को अपनाएं।
३। देश और देश की सीमाओं के बहार विश्वमानस को वेदान्तिक जीवनमूल्यों से परिचित कराने के लिए संकल्प के साथ आगे आयें।
४। अपने-अपने क्षेत्र में इस आदर्श से लोगों को परिचित कराएँ, इससे जोडें।
ध्यान रहे कि आज विश्वमेधा अपनी चेतना की उन ऊंचाइयों पर है जहाँ एक नए विश्वमानव का जन्म हो रहा है। विश्वचेतना उसे अपने अंक में लेने को प्रशस्त है। इस प्रक्रिया को हमारी सनातन परम्परा में वेदांत का महामार्ग अभिष्ट है। यही हमारे समय की सभी वैश्विक और वैचारिक समस्याओं का समाधान भी है।
साथ ही, "वेदांत मंडलम" के सतत प्रसार के लिए भी आपका सहयोग हमें चाहिए। आप अपने अनुभवों से, अपने जीवन दर्शन को भी सहज शब्दों में ढाल कर हमें भेजें। आप हमें यह भी सूचित कर सकते हैं कि आप अपने स्तर पर किस रूप में इस ज्ञानयज्ञ से समाज को लाभान्वित करने में हमारे सहयोगी हो सकते हैं।
ॐ तत्सत।